Breaking
Thu. Nov 21st, 2024

November 6, 2024

डोनाल्ड ट्रंप बने अमेरिका के राष्ट्रपति, भारत को क्या होंगे फायदे और नुकसान?

विदेश। अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. डोनाल्ड ट्रंप ने इस चुनाव में जीत हासिल की और अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बन चुके हैं. हालांकि अमेरिका का राष्ट्रपति कौन होगा इस पर पूरी दुनिया के साथ भारत ने भी अपनी नजर बनाई हुई थी. अब देखना ये है कि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत के किन-किन क्षेत्रों में फायदे और नुकसान होने की संभावना है।

द प्रिंट की रिपोर्ट में पांच महत्वपूर्ण क्षेत्रों के विषय की चर्चा की गई है, जहां भारत के लिए अमेरिकी नीति मायने रखती है. चीन को लेकर बात की जाए तो अमेरिका के पिछले तीनों राष्ट्रपति- ओबामा, ट्रंप और बाइडन का रूख चीन के मामले में भारत से सहयोग का रहा. तो ऐसे में ट्रंप सरकार के लौटने पर चीन के मामले में भारत के लिए अमेरिका का सहयोग रह सकता है।

अर्थव्यवस्था के मामले में भारत को हो सकती है चिंता

अर्थव्यवस्था के मामले में डोनाल्ड ट्रंप अलगाववादी और संरक्षणवादी रवैया रखते हैं. क्योंकि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है इसलिए यह भारत के लिए एक बड़ी चिंता की बात हो सकती है. हालांकि हथियार, खुफिया सहयोग, तकनीक और रक्षा हार्डवेयर के सहयोग में अमेरिका का ज्यादा बदलाव नहीं होगा।

नहाय खाय से छठ महापर्व हुआ शुरू, जानिए चार दिन तक किस दिन क्या होता है

आस्था डेस्क। चार दिन तक चलने वाले छठ पर्व की आज से शुरुआत हो रही है. छठ पर्व से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है. हालांकि बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में छठ महापर्व प्रमुखता के साथ मनाया जाता है. इस महापर्व में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा का विधान है. छठ का व्रत महिलाएं संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं. इस वर्ष यह महापर्व 5 नवंबर से लेकर 7 नवंबर तक मनाया जाएगा. इसकी शुरुआत 5 नवंबर को नहाए-खाए से होती है।

क्यों मनाया जाता है छठ पर्व?
शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक मास में सूर्य अपनी नीच राशि में होता है, इसलिए सूर्यदेव की विशेष उपासना की जाती है. ताकि स्वास्थ्य की समस्याएं परेशान ना करें. षष्ठी तिथि का सम्बन्ध संतान की आयु से होता है, इसलिए सूर्य देव और षष्ठी की पूजा से संतान प्राप्ति और उसकी आयु रक्षा दोनों हो जाती है।

नहाए-खाए छठ महापर्व के पहले दिन की विधि होती है, जिसमें व्रती अपने शरीर और मन को शुद्ध करने के लिए इस प्रक्रिया का पालन करते हैं. यह दिन मुख्यतः शुद्धता और सरल भोजन के लिए होता है।

नहाए-खाए की विधि
छठ में व्रती पहले दिन सुबह-सुबह किसी पवित्र नदी, तालाब या घर में स्नान करें हैं. पानी में थोड़ा सा गंगाजल जरूर मिला लें. स्नान के बाद पूरे घर की विशेष रूप से रसोई की सफाई की जाती है. रसोई को शुद्ध और पवित्र रखा जाता है. इसके बाद व्रती पूरे मन और आत्मा से छठ पूजा के नियमों का पालन करने का संकल्प लेते हैं.

नहाए-खाए के दिन व्रती सिर्फ सादा, सात्विक भोजन करते हैं. आमतौर पर चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी बनाई जाती है. भोजन में लहसुन, प्याज या किसी भी तरह के मसालों का प्रयोग नहीं होता है. भोजन मिट्टी या कांसे के बर्तनों में पकाया जाता है और उसे लकड़ी या गोबर के उपलों पर पकाना पारंपरिक होता है. व्रती इसे शुद्धता के साथ ग्रहण करते हैं और उसके बाद ही परिवार के अन्य सदस्य भोजन करते हैं.

दूसरे दिन खरना
दूसरे दिन को “लोहंडा-खरना” कहा जाता है. इस दिन लोग उपवास रखकर शाम को खीर का सेवन करते हैं. खीर गन्ने के रस की बनी होती है. इसमें नमक या चीनी का प्रयोग नहीं होता है.

तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य
छठ पर्व में तीसरे दिन उपवास रखकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. साथ में विशेष प्रकार का पकवान “ठेकुवा” और मौसमी फल चढ़ाया जाता है. अर्घ्य दूध और जल से दिया जाता है.