महाराजगंज। महुवआ निवासी शारीरिक रूप से अक्षम पूर्णमासी के नाम से किया गया फर्जीवाड़ा, जांच में बड़ा खुलासा; परिवार को धमकी व झूठे मुकदमों में फंसाने की भी आशंका।
महाराजगंज जनपद के फरेंदा रोड पर बिना नक्शा पास कराए बनाए जा रहे मकानों की शिकायत पर पूर्व जिलाधिकारी द्वारा किए गए औचक निरीक्षण में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि महुवआ निवासी पूर्णमासी पुत्र शिववरन के नाम पर नियत प्राधिकारी/उप जिलाधिकारी, सदर महाराजगंज को एक फर्जी शपथ पत्र प्रस्तुत कर भवन नक्शा पास कराने की कोशिश की जा रही थी। मामले में संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों ने जब दस्तावेजों की जांच की, तो यह स्पष्ट हुआ कि जिस आराजी संख्या 285 पर निर्माण का मामला है, वह पहले से ही सिविल न्यायालय, जूनियर डिवीजन (अवर खंड तृतीय) में विचाराधीन है। इसके बावजूद उक्त भूमि पर नक्शा पास कराने के लिए फर्जी तरीके से नोटरी शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया। आशंका व्यक्त की जा रही है कि पूर्णमासी, जो कि एक गंभीर बीमारी ‘फालिज’ से ग्रसित हैं और शारीरिक रूप से अक्षम हैं, उनके नाम से किया गया हस्ताक्षर नकली है। यह भी कहा जा रहा है कि पूर्णमासी स्वयं शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने की स्थिति में नहीं हैं। अतः इस मामले में संबंधित नोटरी के प्रमाण-पत्र व हस्ताक्षर की फॉरेंसिक जांच कराए जाने की मांग की गई है।
प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए यह भी मांग की गई है कि पूर्णमासी को तलब कर न्यायालय अथवा अधिकारियों के समक्ष साक्षात हस्ताक्षर करवाए जाएं ताकि यह प्रमाणित हो सके कि उक्त दस्तावेज उनके द्वारा हस्ताक्षरित नहीं हैं। इस पूरे फर्जीवाड़े में कौन-कौन लोग शामिल हैं, इसकी उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों के विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही की मांग जोर पकड़ रही है। इस मामले के एक अन्य पक्ष में यह भी आरोप लगाए गए हैं कि पूर्णमासी के बड़े भाई चंदू द्वारा वादी के पति को एक फर्जी एससी-एसटी मुकदमे में फंसाया गया था। हालांकि, न्यायालय ने उस प्रकरण में वादी के पति को दोषमुक्त करार दिया था और अब चंदू पर आईपीसी की धारा 182 के तहत कार्रवाई चल रही है। वादी का कहना है कि चंदू और उसके सहयोगी दलित वर्ग का गलत फायदा उठा कर झूठे मुकदमे दर्ज करा रहे हैं और उनके पति व परिवार को बार-बार परेशान करने का षड्यंत्र रच रहे हैं। आरोप यह भी है कि चंदू द्वारा उन्हें व उनके परिवार को जान से मारने की धमकी दी जा रही है और सार्वजनिक रूप से भी कई बार इस तरह की बातें कह चुका है। जिसका सबूत भी है
स्थानीय प्रशासन से मांग की गई है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए, दोषियों की पहचान की जाए और उनके विरुद्ध उचित धाराओं में कानूनी कार्रवाई की जाए। साथ ही वादी परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए ताकि उन्हें भविष्य में किसी प्रकार की क्षति न पहुंचे। यह प्रकरण प्रशासनिक तंत्र पर भी सवाल उठाता है कि बिना विधिवत जांच के शिकायतों को कैसे निस्तारित किया जा रहा है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि आईजीआरएस संख्या40018725008975 पर दर्ज शिकायत का भी निस्तारण बिना किसी पूछताछ के कर दिया गया, जिससे यह प्रतीत होता है कि पूरे मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस गंभीर प्रकरण पर क्या कदम उठाता है और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए कौन-कौन से सख्त कदम उठाए जाते हैं।