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मां बनने का सफर ममता और स्नेह से भरी मां बनने की खूबसूरत यात्रा – शिवांगी जायसवाल (डॉयरेक्टर गाउन फॉर शूट)

RPP NEWS GORAKHPUR संवाददाता सुनील मणि त्रिपाठी गोरखपुर सदर तहसील



सिटी गोरखपुर। यह जिंदगी भी कितनी अजीब है ना, क्योंकि सुख और दुख ऐसे दो पहलू इससे जुड़े हैं, जो इससे अलग नहीं हो सकते। पूरी जिंदगी तो यही होता है, इंसान खुशियों के पीछे भागता रहता है। लेकिन खुशियां मिलते ही दुख और कष्ट भी मिल जाते हैं। लेकिन हां,मां बनने का जो सुखद एहसास होता है, उसके आगे सारी कष्ट फीके पड़ जाते हैं। हर लड़की का सपना होता है, शादी के बाद एक अच्छा हमसफर मिल जाए।शादी की खुशी तो मिलती है ,लेकिन उसके बाद पीहर को छोड़कर जाने का दुख, नए परिवेश में बसने का दुख, मायके वालों से बिछड़ने का दुख। शादी के बाद नई खुशखबरी कब सुना रही हो, घर में नया मेहमान कब आने वाला है। सबको इतनी जल्दी रहती है, कि हमें भी पता नहीं होता की खुशखबरी सुनने के बाद हमें कितने कष्ट सहने पड़ेंगे।
यह बातें डॉयरेक्टर शिवांगी जैसवाल ने बताई। उन्हें बताया कि मातृत्व बनने का पूरा सफर हम लोग फोटो फ्रेम में संजो कर रखने का प्रयास करते हैं। आज की दौड़ में नई जनरेशन सारी खूबसूरत लम्हें को कैद करके रखना चाहती है। इस लम्हे को फिल्मी दुनिया से आए नए-नए रूप द्वारा किया जाता है। मां बनना हर लड़की के लिए एक खुशियों भरा पल होता है, जिसमें बहुत तरह से बदलाव से गुजरता पड़ता है। कुछ अच्छे,कुछ मुश्किलों का सामना भी करना पड़ता हैं। मातृत्व का सफर हल्की मुश्किलों से भरा होता है, पर जब महिला के शरीर में बदलाव होता है। मातृत्व बनने के सफर में महिलाओं को बहुत से मुश्किलों का सामना भी करना पड़ता है।खान-पान में काफी सावधानियां बरतनी पड़ती हैं,क्योंकि शरीर में काफी बदलाव आ जाता है।भारी सामानों को ना उठाना,झुक करके काम न करना,कुछ व्यायाम करना जैसे विशेष सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। जैसे-जैसे समय बढ़ता जाता है, मां बनने की अनुभूति और बैचेनी बढ़ती जाती है। 8 महीने कैसे बीत जाते हैं, यह पता ही नहीं चलता। दुनिया की भरपूर खुशी परिवार से मिलती है। मातृत्व बनने वाली औरत का खास ख्याल रखा जाता है। आगे का एक महीना बहुत भारी हो जाता है, डरावने सपने भी आते हैं, रातों की नींद भी गायब हो जाती है ,कभी प्यारे सपने भी आते हैं। 9 माह का सफर कट जाता है। और मातृत्व बनने की आकांक्षा पूरी हो जाती है। औरत के गर्भ में पल रहे बच्चे की किलकारियां धरती पर सुनाई देने लगती हैं ।एक औरत के 9 महीने का सफर पूरा होता है। औरत धन्य है, जननी है,जो सभी दुखों को काटकर नए पौधों का सृजन करती है।

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