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Thu. Feb 6th, 2025

Ayodhya

क्या आप जानते हैं श्री राम के मामा का नाम? आइये जानते हैं भगवान राम से जुडी कुछ रोचक बातें

RPP NEWS, आस्था डेस्क। छत्तीसगढ़ में भगवान राम की एक अनोखी परंपरा है, जहां मामा अपने भांजों के चरण स्पर्श करते हैं। यह परंपरा भगवान राम के ननिहाल से जुड़ी हुई है, जो महाकोशल क्षेत्र में स्थित है।

माना जाता है कि भगवान राम की माता कौशल्या का जन्म महाकोशल क्षेत्र में हुआ था। भगवान राम ने अपने वनवास के 12 साल इसी क्षेत्र में बिताए थे। इसलिए, छत्तीसगढ़ के लोग भगवान राम को अपने भांजे के रूप में पूजते हैं।

इस परंपरा के पीछे एक खास राज है। भगवान राम के पुत्र लव-कुश का जन्म स्थल वाल्मिकी आश्रम भी छत्तीसगढ़ के तुरतिया पहाड़ पर मौजूद है। भगवान राम को लेकर छत्तीसगढ़ में कई प्रमाण और कथाएं प्रमाणित हैं।

छत्तीसगढ़ के लोग भगवान राम के प्रति आगाध आस्था रखते हैं। भगवान राम को लेकर यहां कई त्योहार और उत्सव मनाए जाते हैं। भगवान राम के नाम पर यहां कई मंदिर और आश्रम भी हैं।

इस परंपरा को निभाने के लिए छत्तीसगढ़ के लोग अपने भांजों का सम्मान करते हैं। वे अपने भांजों के चरण स्पर्श करते हैं और उन्हें भगवान राम के रूप में पूजते हैं। यह परंपरा छत्तीसगढ़ की संस्कृति और आस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

गुप्तेश्वर धाम के पीठाधीश्वर स्वामी डॉ. मुकुंददास महाराज ने बताया कि बाल्मिक रामायण और वशिष्ठ रामायण में प्रदेश के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में रावण की चौकियां हुआ करती थीं। महाकोशल क्षेत्र जिसमें कुछ हिस्सा अब छत्तीसगढ़ चला गया है, भी शामिल था।

उन्होंने बताया कि यही महाकोशल माता कौशल्या का मायका कहलाता है। जिसमें 18 से अधिक जिले हुए करते थे। जब राजा दशरथ ने राजसूय यज्ञ किया तब वे विंध्य के राजाओं से मिलने भी आए, जहां माता कौशल्या को देखकर प्रभावित हुए और उन्हें अपनी रानी बना लिया।

उन्होंने बताया कि भगवान राम जब वनवास गए तब वे ननिहाल होते हुए ही दक्षिण भारत की ओर गए थे। इतिहासकार अरुण शुक्ल व डीपी गुप्ता की मानें तो माता कौशल्या का जन्म महाकोशल में ही हुआ था। इसी आधार पर उनका नाम कौशल्या पड़ा। उस समय महाकोशल क्षेत्र कोशल कहलाता था। मध्य प्रदेश के विभाजन के बाद इसका कुछ हिस्सा अब छत्तीसगढ़ में चला गया है।

उन्होंने बताया कि विशेष बात यह है कि महाकौशल के साथ छत्तीसगढ़ में यही परंपरा निभायी जाती है। वहां भी लोग भांजों का सम्मान करते हैं। भगवान राम के पुत्र लव-कुश का जन्म स्थल वाल्मिकी आश्रम भी छत्तीसगढ़ के तुरतिया पहाड़ पर मौजूद है।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ की तैयारियां शुरू, 10-12 जनवरी को होंगे भव्य कार्यक्रम

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं। इस वर्षगांठ को प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है, जो 10 से 12 जनवरी 2024 तक तीन दिवसीय उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। इस दौरान विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

राम मंदिर ट्रस्ट ने कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया है, जो उत्सव के प्रत्येक दिन के आयोजन की योजना बना रही है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र ने बताया कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को हुई थी, जो द्वादशी तिथि पर थी। इस बार द्वादशी तिथि 11 जनवरी को पड़ रही है, इसलिए इसे प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में मनाया जाएगा।

तीन दिवसीय इस उत्सव में धार्मिक अनुष्ठान, भव्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और मंदिर परिसर में विशेष पूजा-अर्चना होगी। दिन में विभिन्न कार्यक्रमों के साथ-साथ रात में भी विशेष आयोजन होंगे। इस आयोजन को लेकर तैयारियों की जिम्मेदारी एक चार सदस्यीय टीम को सौंपी गई है, जो उत्सव की रूपरेखा को अंतिम रूप दे रही है।

कुंभ मेले के लिए विशेष व्यवस्थाएं

डॉ. अनिल मिश्र ने यह भी जानकारी दी कि आगामी कुंभ मेले के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु अयोध्या पहुंचने वाले हैं। काशी, प्रयागराज और अयोध्या का एक खास धार्मिक कॉरिडोर बनेगा, जिससे श्रद्धालु काशी के बाद प्रयागराज और फिर अयोध्या भी जाएंगे। इसके मद्देनज़र, राम मंदिर ट्रस्ट प्रशासन के साथ मिलकर श्रद्धालुओं के लिए सुलभ दर्शन की व्यवस्था सुनिश्चित कर रहा है, ताकि उन्हें रामलला के दर्शन में कोई कठिनाई न हो।

इस प्रकार, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ और कुंभ मेले को लेकर अयोध्या में तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं, जिससे यह आयोजन ऐतिहासिक और भव्य बनने की उम्मीद है।